Book Review – “Aashi” by Maitabi Banerjee
Aashi is a story of a young woman, the decisions she makes and how she eventually overcomes all the hurdles to live a
Aashi is a story of a young woman, the decisions she makes and how she eventually overcomes all the hurdles to live a
रात काफ़ी हो चुकी थी और निशान्त का फ़ोन भी नहीं लग रहा था। इतनी तेज़ बारिश थी और शाम से ही घर में अँधेरा था। अब मुझेचिंता होने लगी थी। मैं बार बार खिड़की के बाहर देख रही थी और उसके घर आने का इंतज़ार कर रही थी। तभी दरवाज़े पे किसी कीआवाज़ आयी। मैंने निशान्त को आते नहीं देखा इसलिए सोच में पड़ गयी की इतने रात को कौन हो सकता है। मोमबत्ती हाथ में लिए, अंधेरे कमरे में, डरते हुए मैंने दरवाज़ा खोला। मैं स्तब्द रह गयी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। इतने समय बाद आज अचानक वो मेरे सामने था। “वरुण?” वो मुस्कुराते हुए दरवाज़े के पास आया। मैं देखते रह गयी। वही मुस्कान, वही चश्मा, वही बाल, वही पुराना बैग और उसने क़मीज़ भीवही पहनी थी जो मुझे सबसे ज़्यादा पसंद था। वो एक क़दम आगे आके बोला, “अब यहीं खड़ी रहोगी या अंदर भी आने दोगी?” मैं तब भी खड़ी रही और वो मेरे हाथ से मोमबत्ती लेकर अंदर आ गया। दरवाज़ा भी उसिने बंद किया और बड़े आराम से एक कुर्सी लेकरबैठ गया। मैं उसे देखते रह गयी। शादी के बाद हम कभी नहीं मिले। वो अचानक ही ग़ायब हो गया था। पर मैं उसे कभी भूल नहीं पायी। रात दिनबस उसी के बारे में सोचती थी। साथ बिताए पलों को याद करती थी। उसके साथ ही जीती थी मेरे सपनो की दुनिया में। आज अचानकउसे सामने देख मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था। वो पूरे घर में टहल रहा था। पहले बाल्कनी फिर बेडरूम और फिर रसोई से एक बॉटल ठंडा पानी लेकर पिया। उसे देखकर कोई नहींबोलेगा की ये पहली बार यहाँ आया है। पानी का बॉटल रखते हुए उसने मुझे पूछा, “तुम कहाँ खो गयी हो?” हाँ, मैं सचमुच खो गयी थी। हम दोनो के बीच कितना प्यार था। पर हमारे परिवारवालों को ये नहीं दिखा और ना ही हमारी शादी होने दी।ज़बरदस्ती मेरी शादी निशान्त से करवा दी। पर मैं इस शादी को नहीं मानती, ना तो मैं उससे बात करती हूँ और ना ही उसके साथ सोतीहूँ। मैं पूरा दिन अपने कमरे में रहती हूँ और वरुण के बारे में सोचती रहती हूँ। मेरी आँखों में देखते हुए उसने पूछा, “क्या हुआ?” “तुम कहाँ चले गए थे वरुण? मैंने तुम्हें बहोत याद किया।” “मुझे पता है। तभी तो मैं आया हूँ मिलने।” “क्या तुम्हें पता है मैं तुम्हें कितना याद करती हूँ, तुम्हारे ख़यालों में ही रहती हूँ। तुम्हारे पसंद का खाना बनाती हूँ, तुम्हारे पसंद के गानेसुनती हूँ, तुम्हारा दिया हुआ किताब आज भी पढ़ती हूँ। मैं हँसती हूँ तो सिर्फ़ तुम्हारे बारे में सोच कर। सुबह उठकर सबसे पहले तुम्हारेतस्वीर को देखती हूँ। तभी एक गाड़ी की हॉर्न बजी और मैं डर गयी। मैं भाग कर खिड़की की और गयी। पर देखी की वो मेरे पति की नहीं किसी और की गाड़ीथी। मैंने डर के वरुण को बोला, “ये सही समय नहीं है मिलने का। निशान्त कभी भी घर आ सकता है।” “तुम चिंता मत करो, उसके आने के पहले मैं चला जाऊँगा।” “तुम इतने यक़ीन के साथ कैसे बोल सकते हो?” उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी और खींचा और बोला,
I enjoyed reading the book “It’s All Called Love” by Dipika Singh, that I received as a part of BlogchatterEbook carnival’s review program.
“If I had all the time in the world, I would spend it all with him, and even that would not be enough.
I enjoyed reading this book that I received as a part of Blogchatter’s Book Review Program and would like to express my gratitude towards Sona
“Mom, this is just not done.” “You don’t poke your nose into everything. We are doing this for your good.” Shreya was infuriated
Radha was a beautiful and a bright young girl. What made her a sore to everybody’s eyes was her deformity. She was born
I was in my office when I got a call from him, “Mom wants to meet you.” He sounded anxious. “Why? What
It was their first anniversary, but work priorities kept them apart. Shalini and Vikas wished each other over a video call in the