Ek Khayal Aaya

  एक ख़याल आया जो कल ना रहूँ मैं  क्या तब भी तुझमें ज़िंदा रहूँगी मैं   क्या तब भी तुम  बिल्कुल ऐसे ही बोलोगे  मेरी तस्वीर देख  अपना दिल खोलोगे    या खो जाओगे  मेरी तरह कहीं चुपके से अचानक से  जहां और कोई नहीं    क्या आएगी तब भी  तुमसे मेरी ख़ुशबू जैसे आती थी  जब हम होते थे रूबरू    कैसे खो जाते थे तुम  मेरी इन पलकों में 

कहने को तुम दूर हो

ये बारिश नहीं ये तुम ही हो जो मुझ तक ठंडक पहुँचा रही  ये धूप नहीं ये तुम ही हो जो मेरे गालों को सहला रही  ये हवा नहीं ये तुम ही हो  जो मेरे कानों  में कुछ कह रही    बस कहने को तुम दूर हो  तुम हो मेरे पास यहीं कहीं    मेरे हर लफ़्ज़ में तुम  अल्फ़ाज़ में तुम  हर उस अनकही बातों में तुम  मेरे कहानी में तुम  हर कविता में तुम    बस कहने को तुम दूर हो  तुम हो मेरे पास यहीं कहीं    सुबह की रोशनी  रात के सितारे  याद दिलाती है तुम्हारी