Ek Khayal Aaya

  एक ख़याल आया जो कल ना रहूँ मैं  क्या तब भी तुझमें ज़िंदा रहूँगी मैं   क्या तब भी तुम  बिल्कुल ऐसे ही बोलोगे  मेरी तस्वीर देख  अपना दिल खोलोगे    या खो जाओगे  मेरी तरह कहीं चुपके से अचानक से  जहां और कोई नहीं    क्या आएगी तब भी  तुमसे मेरी ख़ुशबू जैसे आती थी  जब हम होते थे रूबरू    कैसे खो जाते थे तुम  मेरी इन पलकों में 

दिल ना लगे

कई बार ऐसा होता है जब हम किसी के सवालों का जवाब नहीं देना चाहते है। समाज के, परिवार के, रिश्तेदारों के, पड़ोसियों

वो कहता है

वो कहता है तू खुदा है मेरा तू ही इश्क़ है तू है सबकुछ मेरा   तुझे देखूँ तो साँसे चलती है मेरी तू देखे तो धड़कन बढ़ती है मेरी   तेरी पलकों के उठने का इंतज़ार रहता है तेरी आँखों में दिल मेरा डूबा रहता है   तेरी ज़ुल्फ़ों से घना कुछ और नहीं बस तू दिख जाए फिर कुछ और दिखता नहीं   वो कहता है तुझमें एक ख़ुश्बू है तेरे साथ होने से मेरी ज़िंदगी महकती है   तुझे छूने का एक अलग एहसास है बस याद कर लो तो लगता है हम पास है   तू साथ होती है तो दिल को सुकून मिलता है बेरंग सी ज़िंदगी में भी रंग दिखता है .

सोचती हूँ

सोचती हूँ कभी वो दिन तो आएगा जब बैठी रहूँगी तेरी बाँहों में चुप चाप, आँखें बंद करके होंठों पर मुस्कान चेहरे पर सुकून लेकर   तेरे काँधे पर सिर अपना रखकर तेरे हाथों की गर्मी अपने हाथों में महसूस करके पास तेरे बैठी रहूँगी घंटों तक   सोचती हूँ कभी तो मिल पाऊँगी जब कभी भी तुम पुकारोगे मैं भागी चली आऊँगी कभी तो ख़त्म होगी ये दूरी शायद हमारी कहानी अब ना रहेगी अधूरी  

कहने को तुम दूर हो

ये बारिश नहीं ये तुम ही हो जो मुझ तक ठंडक पहुँचा रही  ये धूप नहीं ये तुम ही हो जो मेरे गालों को सहला रही  ये हवा नहीं ये तुम ही हो  जो मेरे कानों  में कुछ कह रही    बस कहने को तुम दूर हो  तुम हो मेरे पास यहीं कहीं    मेरे हर लफ़्ज़ में तुम  अल्फ़ाज़ में तुम  हर उस अनकही बातों में तुम  मेरे कहानी में तुम  हर कविता में तुम    बस कहने को तुम दूर हो  तुम हो मेरे पास यहीं कहीं    सुबह की रोशनी  रात के सितारे  याद दिलाती है तुम्हारी 

जागो दुर्गा

है माँ दुर्गा, तुम भी तो नारी थी अकेली ही असुरों पे भारी थी, महिसासुर ने जब उपहास किया तुमने उसका सर्वनाश किया,

ख़्वाब

ख़्वाब जो साथ देखे है हमने हर उस सपने को सजाना है छोटे छोटे अनगिनत है हर ख़्वाहिश को पंख लगाना है   भाग दौड़ की ज़िंदगी में दो पल साथ बिताना है ख़ूबसूरत से उस पल में ख़ामोश ही रह जाना है   पहचान बनाने की इस दौड़ में ख़ुद को भूल जाना है ठेहरा हुआ एक शाम हो सुकून आजमाना है   अनकही बातों के समंदर में पलकों से सब कह जाना है कुछ सवालों के इशारे पे बस हल्का सा मुस्कुराना है   दूरी कभी ना हो हम में इतना प्यार जताना है आशियाँ हो तेरे बाहों का